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Swami Vivekananda Birthday: स्वामी विवेकानंद के चरित्र की कहानी जो करती हैं सबको प्रेरित

Swami Vivekananda: National Youth Day: 

भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस हर साल 12 जनवरी को मनाया जाता है. यह दिन स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. साल 1984 में भारत सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया था. 

राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने के पीछे मकसद युवाओं को प्रेरित करना और उन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों के बारे में जागरूक करना है. इस दिन को मनाने का मकसद यह भी है कि युवाओं को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. स्वामी विवेकानंद के कुछ विचार युवाओं के लिए मार्गदर्शक रहे हैं, जैसे कि, 'उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए'. 

इस दिन को मनाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में जुलूस, भाषण, संगीत, युवा सम्मेलन, सेमिनार, योगासन, प्रस्तुतियां, निबंध-लेखन, कविता पाठ, और खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. 

भारत सरकार हर साल 12 से 16 जनवरी के बीच राष्ट्रीय युवा महोत्सव भी आयोजित करती है. 

कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में जन्मे विवेकानन्द आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे 

लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना

एक बार स्वामी विवेकानन्द अपने आश्रम में सो रहे थे। कि तभी एक व्यक्ति उनके पास आया जो कि बहुत दुखी था और आते ही स्वामी विवेकानन्द के चरणों में गिर पड़ा और बोला महाराज मैं अपने जीवन में खूब मेहनत करता हूँ हर काम खूब मन लगाकर भी करता हूँ फिर भी आज तक मैं कभी सफल व्यक्ति नहीं बन पाया। उस व्यक्ति कि बाते सुनकर स्वामी विवेकानंद ने कहा ठीक है। आप मेरे इस पालतू कुत्ते को थोड़ी देर तक घुमाकर लाये तब तक आपके समस्या का समाधान ढूँढ़ता हूँ। इतना कहने के बाद वह व्यक्ति कुत्ते को घुमाने के लिए चला गया। और फिर कुछ समय बीतने के बाद वह व्यक्ति वापस आया। तो स्वामी विवेकानन्द ने उस व्यक्ति से पूछा की यह कुत्ता इतना हाँफ क्यों रहा है। जबकि तुम थोड़े से भी थके हुए नहीं लग रहे हो आखिर ऐसा क्या हुआ ?

इस पर उस व्यक्ति ने कहा कि मैं तो सीधा अपने रास्ते पर चल रहा था जबकि यह कुत्ता इधर उधर रास्ते भर भागता रहा और कुछ भी देखता तो उधर ही दौड़ जाता था. जिसके कारण यह इतना थक गया है । इसपर स्वामी विवेकानन्द ने मुस्कुराते हुए कहा बस यही तुम्हारे प्रश्नों का जवाब है. तुम्हारी सफलता की मंजिल तो तुम्हारे सामने ही होती है. लेकिन तुम अपने मंजिल के बजाय इधर उधर भागते हो जिससे तुम अपने जीवन में कभी सफल नही हो पाए. यह बात सुनकर उस व्यक्ति को समझ में आ गया था। की यदि सफल होना है तो हमे अपने मंजिल पर ध्यान देना चाहिए।

कहानी से शिक्षा

"स्वामी विवेकानन्द के इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि हमें जो करना है। जो कुछ भी बनना है। हम उस पर ध्यान नहीं देते है, और दूसरों को देखकर वैसा ही हम करने लगते है। जिसके कारण हम अपने सफलता के लक्ष्य के पास होते हुए दूर भटक जाते है। इसीलिए यदि जीवन में सफल होना है! तो सदा हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए ।"