कहते हैं हर मर्ज की दवा दोस्ती है। इसकी कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती। यह हमें सोशल आइसोलेशन से बचाती है और ब्रेन के सेंसर्स को स्ट्रॉन्ग करती है। बचपन से लेकर बुजुर्गावस्था तक दोस्तों का साथ हमें तनावमुक्त रखता है। यह बाकी रिश्तों की तरह नहीं है। दोस्त अपने लिए हम खुद चुनते हैं। तभी तो वे मुश्किल वक्त में एक ढाल की तरह साथ खड़े रहते हैं। दोस्ती, न केवल मानसिक रूप से हैल्दी रखती है, बल्कि शारीरिक तौर पर भी मजबूत होती हैं।
सोशल कनेक्शन से बढ़ती लॉन्गिविटी
दोस्त भावनाओं को मैनेज करने में मदद करते हैं। वे एंजाइटी, डिप्रेशन आदि समस्याओं से गुजरने वाले लोगों के लिए एक इमोशनल सपोर्ट सिस्टम बन सकते हैं। माना गया है कि सोशल कनेक्शन से लाइफ की लॉन्गिविटी बढ़ सकती है। दोस्तों के साथ हमेशा कनेक्टेड महसूस किया जाता है।
साथ वॉक पर जाते, व्यायाम करते
फिजिकल हैल्थ के लिए भी दोस्ती बहुत अच्छी होती है, क्योंकि दोस्तों के साथ घूमने खेलने और समय व्यतीत करने से शारीरिक व्यायाम हो जाता है। ज्यादातर दोस्त हमउम्र होते हैं। साथ में योगा करना, जिम जाना, एक्सरसाइज इत्यादि करते हैं। साथ ही दोस्तों का साथ होने पर हम इन चीजों को लंबे समय तक कर पाते हैं।
ब्रेन और बॉडी में आते हैं बदलाव
दोस्तों के साथ बातचीत से न्यूरो ट्रांसमीटर, डोपामाइन और ऑक्सीटोसिन में सुधार होता है। इनसे डोपामाइन और ऑक्सीटोसिन रिलीज होते हैं और आपसी बॉन्डिंग बनाते हैं। इम्युनिटी बढ़ाने व बीपी नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है। हार्ट हैल्थ भी बूस्ट होती।
Social Plugin