हम में से अधिकतर लोग सप्ताह का सबसे पसंदीदा दिन रविवार मानते हैं — एक ऐसा दिन जब हम ऑफिस या स्कूल से छुट्टी लेकर आराम करते हैं, परिवार के साथ समय बिताते हैं या अपने मनपसंद शौकों में समय लगाते हैं।
पर क्या आपने कभी सोचा है कि रविवार की छुट्टी की शुरुआत कब और क्यों हुई?
यह केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि एक ऐतिहासिक संघर्ष और सामाजिक बदलाव का परिणाम है।
📜 शुरुआत: जब रविवार को भी काम होता था
भारत में ब्रिटिश शासन के समय, 1800 के दशक में फैक्ट्रियों और ऑफिसों में काम करने वाले लोगों को सप्ताह के सातों दिन काम करना पड़ता था । मजदूरों को दिन में 12 से 14 घंटे काम करना पड़ता था। छुट्टी या आराम का कोई दिन नहीं था। इससे उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति बेहद खराब होती जा रही थी।
नारायण मेघाजी लोखंडे – एक नायक का उदय
रविवार की छुट्टी की मांग को सबसे पहले संगठित रूप में उठाया नारायण मेघाजी लोखंडे ने।
वे 19वीं सदी के एक सामाजिक कार्यकर्ता और मजदूर हितैषी नेता थे।
उन्होंने 1880 के दशक में ब्रिटिश सरकार से मांग की कि मजदूरों को सप्ताह में एक दिन की छुट्टी मिलनी चाहिए ताकि वे:
*अपने धार्मिक कार्यों को कर सकें
* अपने परिवार को समय दे सकें
* अपनी शारीरिक थकावट को दूर कर सकें
लोखंडे ने अपने आंदोलन में यह भी बताया कि रविवार का दिन ईसाई धर्म में "प्रार्थना का दिन" होता है और चूंकि अंग्रेज स्वयं ईसाई थे, इसलिए उन्हें इस मांग को मानना चाहिए।
📅 1881: ऐतिहासिक जीत
नारायण लोखंडे और उनके साथियों के संघर्ष के बाद, ब्रिटिश सरकार ने 10 जून 1881 को कानून पास किया जिसके अंतर्गत रविवार को मजदूरों के लिए साप्ताहिक छुट्टी घोषित की गई।
यह भारत में पहली बार किसी साप्ताहिक अवकाश को कानूनी रूप में मान्यता दी गई थी।
यह फैसला सिर्फ एक छुट्टी नहीं था, बल्कि मजदूरों के लिए सम्मान और मानवाधिकारों की शुरुआत थी।
इसके बाद, धीरे-धीरे यह नियम सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और अन्य संस्थानों में भी लागू हुआ।
🌏 अन्य देशों में क्या होता है?
* अमेरिका और यूरोप के कई देशों में भी रविवार को छुट्टी का दिन माना जाता है।
* इस्लामी देशों में शुक्रवार (जुम्मा) को अवकाश होता है क्योंकि वह दिन धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है।
* कुछ देशों में शनिवार और रविवार दोनों दिन वीकेंड अवकाश होता है, जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन आदि।
आज के समय में रविवार की छुट्टी का महत्व
1. मानसिक स्वास्थ्य:लगातार काम से मानसिक तनाव बढ़ता है। रविवार को आराम करके व्यक्ति मानसिक रूप से तरोताजा होता है।
2. पारिवारिक समय: पूरे सप्ताह व्यस्त रहने के बाद, यह दिन परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का अवसर देता है।
3. धार्मिक कार्य: कई लोग इस दिन मंदिर, चर्च, मस्जिद या गुरुद्वारे जाकर धार्मिक क्रियाकलापों में भाग लेते हैं।
4. स्वस्थ जीवनशैली: कुछ लोग इस दिन खेल, योग, या व्यायाम जैसे कार्यों के लिए समय निकालते हैं।
क्या आप जानते हैं?
नारायण मेघाजी लोखंडे को भारत का पहला श्रमिक नेता भी कहा जाता है।
उन्होंने न सिर्फ रविवार की छुट्टी बल्कि मजदूरों के लिए वेतन, कार्य के घंटे और अधिकारों की लड़ाई भी लड़ी।
रविवार की छुट्टी आज हमें सामान्य लगती है, लेकिन इसके पीछे एक लंबा इतिहास और संघर्ष छिपा है। यह हमें याद दिलाता है कि मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जरूरी है, और सामाजिक बदलाव धीरे-धीरे मगर स्थायी रूप से होता है।
तो अगली बार जब आप रविवार को आराम करें — तो नारायण लोखंडे और उनके आंदोलन को एक धन्यवाद ज़रूर दें।
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