बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ। जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ॥ ...
अर्थात् जो बीत गया उसे भूल जाओ और आगे की तैयारी करो।
उक्त पंक्तियां मशहूर कवि 'गिरधर' की हैं।
भूतकाल की यादों में जब हम खोते हैं और वे बातें हमारे ऊपर हावी हो जाती हैं तो हमारे दिमाग में तनाव उत्पन्न होने लगता है। हमारे अंदर की सहजता खंडित होने लगती है। उदाहरण के तौर पर 20 बरस पुराना दुश्मन दिख जाए तो भी तुम्हें गुस्सा आ जाता है और चित्त विचलित हो जाता है। तुम्हारे जीवन की सहजता खत्म हो जाती है।
जीवन में हर व्यक्ति के साथ अतीत में अनेक घटनाएं घटती हैं। आप की, हमारी, सब की जिंदगी की कहानी यही है। अतीत एक भोगा हुआ यथार्थ है, उसे भुला देने में ही सार है। अतीत से हम सीख लें और वर्तमान में उसको सुधार लें, तो हमारा भविष्य उज्जवल बन सकता है। अतीत में वही उलझते हैं जिन्हें वर्तमान का बोध नहीं होता। धर्म हमें एक कला सिखाता है, एक विज्ञान बताता है, भूत की बात को भूल जाओ। जो बीत गई सो बात गई, बीती ताहि बिसार दे।..
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