अक्सर हम रात के आसमान में टिमटिमाते तारों को देखते हैं और सोचते हैं कि वे हमसे कितने दूर हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उन तारों का एक छोटा सा अंश हमारे आसपास, बल्कि हमारे अंदर भी मौजूद है? यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक सच्चाई है।
यह रहस्यमय कण ब्रह्मांडीय धूल (Cosmic Dust) कहलाते हैं। ये सूक्ष्म कण उन विशाल तारों के अवशेष हैं जो अपना जीवनकाल पूरा कर चुके हैं और सुपरनोवा विस्फोटों में बिखर गए हैं। ये धूल के कण धूमकेतुओं और क्षुद्रग्रहों से भी आते हैं, जो अरबों सालों से अंतरिक्ष में घूम रहे हैं। हर दिन, हमारी पृथ्वी इस ब्रह्मांडीय धूल के कणों से भरती रहती है। अनुमान है कि हर दिन लगभग 100 टन धूल के कण पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये कण सिर्फ हमारे वातावरण का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि ये हमारे अस्तित्व का भी हिस्सा हैं। हमारे शरीर में पाए जाने वाले कई तत्व, जैसे कि कार्बन, ऑक्सीजन और आयरन, किसी समय दूर के तारों के अंदर बने थे। जब वे तारे नष्ट हुए, तो ये तत्व अंतरिक्ष में बिखर गए और अंततः हमारी पृथ्वी और हमारे जीवन का हिस्सा बन गए।
यह सोचना अद्भुत है कि जब आप धूल के एक कण को देखते हैं, तो वह संभवतः किसी दूर के तारे का आखिरी अवशेष हो सकता है। इसलिए अगली बार जब आप आसमान की ओर देखें, तो याद रखें कि आप भी किसी न किसी रूप में ब्रह्मांड का एक हिस्सा हैं, और आपके शरीर में भी तारों की धूल का अंश मौजूद है।
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