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"अचानक इस्तीफ़ा: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के फैसले के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?"

नई दिल्ली, अगस्त 2025 – देश की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। यह निर्णय न केवल अप्रत्याशित था, बल्कि इसके पीछे के कारणों को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। बता दें कि जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को इस पद से इस्तीफा दे दिया।


धनखड़ जी ने राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंपते हुए कहा कि यह निर्णय उन्होंने "व्यक्तिगत कारणों और सिद्धांतों" के आधार पर लिया है। हालांकि उन्होंने विस्तृत कारण नहीं बताए, लेकिन राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

जगदीप धनखड़ का परिचय

जन्म: 18 मई 1951

जन्म स्थान: किठाना गाँव, झुंझुनूं जिला, राजस्थान

शिक्षा:

बी.एससी (Physics), राजस्थान विश्वविद्यालय

LLB, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर

व्यवसाय: वरिष्ठ अधिवक्ता, राजनीतिज्ञ

प्रमुख पद:

राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता

1989 में झुंझुनूं से लोकसभा सांसद (जनता दल)

1990 में केन्द्रीय मंत्री (औद्योगिक विकास राज्यमंत्री)

2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल

2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने

विशेषताएँ:

जगदीप धनखड़ को एक संवैधानिक विशेषज्ञ, स्पष्टवादी वक्ता, और कानूनी मामलों में दक्ष नेता माना जाता है। उन्होंने विभिन्न संवेदनशील पदों पर काम करते हुए सदैव लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की है। बतौर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, वे कई बार राज्य सरकार के साथ तीखी बहसों में रहे, लेकिन उन्होंने हमेशा संविधान को सर्वोपरि रखा।

धनखड़ का राजनीतिक सफर

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक जीवन बेहद सक्रिय और विविध रहा है। एक वकील से लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और फिर उपराष्ट्रपति बनने तक उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। उनका शांत लेकिन दृढ़ व्यक्तित्व, संवैधानिक मूल्यों के प्रति निष्ठा और स्पष्टवादिता के लिए जाना जाता रहा है।

इस्तीफ़े के संभावित कारण

हालांकि अधिकारिक तौर पर कोई ठोस कारण सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का मानना है कि हाल ही में संसद में हुई कुछ घटनाओं और सरकार के साथ विचारों में मतभेद उनके इस कदम का कारण हो सकते हैं। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि उपराष्ट्रपति पद की गरिमा बनाए रखने और अपनी स्वतंत्र सोच को प्राथमिकता देने के लिए उन्होंने यह साहसी निर्णय लिया है।

राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रियाएँ

प्रधानमंत्री, विपक्षी नेताओं और अन्य वरिष्ठ राजनेताओं ने उनके योगदान की सराहना करते हुए उनके निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर भी लोग उनकी निष्पक्ष भूमिका और गरिमामयी कार्यशैली की तारीफ कर रहे हैं।

आगे क्या?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नया उपराष्ट्रपति कौन होगा और क्या यह इस्तीफ़ा किसी बड़ी राजनीतिक पुनर्संरचना का संकेत है। फिलहाल राष्ट्रपति द्वारा इस्तीफ़ा स्वीकार किए जाने के बाद संवैधानिक प्रक्रियाएँ शुरू हो चुकी हैं।

निष्कर्ष:

जगदीप धनखड़ का इस्तीफ़ा केवल एक संवैधानिक पद से हटना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति की ओर से लिया गया फैसला है जो अपने सिद्धांतों और मूल्यों के लिए खड़ा रहना जानता है। उनके इस फैसले से भारतीय राजनीति में एक नई चर्चा शुरू हो गई है – क्या हम एक नए युग की ओर बढ़ रहे हैं?